प्रस्तावना
पूर्वी भारत का एक छोटा सा गाँव, नाम आलोकपुर। गाँव की जनसंख्या बहुत अधिक नहीं थी, यहाँ के लोग शांतिप्रिय, सरल और मेहमाननवाज़ थे। गाँव के एक कोने में, घने जंगलों की छाया में ढका हुआ एक पुराना घर था, जिसे लेकर गाँव वालों में कई कहानियाँ प्रचलित थीं। ऐसा लगता था मानो वह घर समय के साथ अकेला पड़ गया हो।पेड़ों की जड़ें चारों ओर फैली थीं, खिड़कियों के शीशे टूट चुके थे, लकड़ी के दरवाजे दरारों से भरे थे और छत से सूखी बेलें लटक रही थीं। दिन के समय सबकुछ सामान्य लगता था, लेकिन सूरज डूबते ही वहाँ की फिज़ा बदल जाती। स्थानीय लोग कहते थे, रात के समय वहाँ अजीबोगरीब आवाज़ें सुनाई देती हैं—कभी हल्के क़दमों की आहट, कभी दरवाज़े पर दस्तक। कुछ लोगों का दावा था कि उन्होंने खिड़कियों पर एक छाया देखी, और कभी-कभी हवा में किसी के फुसफुसाने की आवाज़ गूंजती।
गाँव के बुज़ुर्ग कहते थे, “उस घर में कुछ है। वहाँ कोई टिक नहीं सकता।”
नया मेहमान
एक दिन शहर से अर्पण नाम का एक नौजवान गाँव में आया। कॉलेज से पढ़ाई पूरी करने के बाद वह एक स्कूल शिक्षक के रूप में गाँव में आया था। वह शहरी भीड़भाड़ से दूर शांत जगह पर रहना चाहता था।
गाँव में रहने के लिए एक घर की तलाश में था। एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया, “एक घर खाली है, लेकिन वहाँ कोई रहना नहीं चाहता।”
जिज्ञासावश अर्पण उस घर को देखने गया। गाँव वालों की आँखों में एक अजीब सा डर झलक रहा था। लेकिन अर्पण मुस्कुराते हुए बोला, “भूत-प्रेत जैसी कोई चीज़ नहीं होती! यह सब सिर्फ़ मन का भ्रम है।”
पहले कुछ दिन सामान्य बीते। रात में वह किताबें पढ़ता, दिन में स्कूल में पढ़ाता। लेकिन कुछ दिनों बाद घर का माहौल अजीब होने लगा। एक रात, गहरी नीरवता के बीच उसे महसूस हुआ कि कोई उसके पास से गुज़र रहा है।
यह कोई सपना नहीं था, वह पूरी तरह जागा हुआ था। हवा में अजीब सी ठंडक थी। अचानक, मेज़ पर रखी घड़ी नीचे गिर गई, किताबों के पन्ने बिना किसी कारण के पलटने लगे।
अदृश्य मौजूदगी
पहले उसने सोचा कि यह हवा के कारण हो रहा होगा। लेकिन अगले दिन रात को भी वही घटनाएँ दोहराई गईं। बिस्तर पर लेटा हुआ उसे लगा कि दरवाज़े के उस पार से कोई फुसफुसा रहा है।
वह धीरे-धीरे दरवाज़े के पास गया, लेकिन वहाँ कोई नहीं था। खिड़की से बाहर झाँका, तो दूर कहीं धुंधली परछाई हिलती दिखी।
भूतकाल का रहस्य
अगली सुबह, उसने गाँव के बुजुर्गों से पूछा, “इस घर के बारे में इतनी कहानियाँ क्यों हैं?”
एक वृद्ध ने गहरी सांस लेकर कहा, “कई साल पहले यहाँ एक बुजुर्ग दंपति रहते थे। एक तूफानी रात में वृद्धा अचानक गायब हो गई। उसके बाद से यहाँ अजीब घटनाएँ होने लगीं।”
अर्पण की जिज्ञासा और बढ़ गई।
रात में वह फिर से जागकर इंतजार करने लगा कि शायद कुछ दिखे। अचानक खिड़की के काँच पर किसी के हाथ की छाया पड़ी। वह धीरे-धीरे खिड़की की ओर बढ़ा और कहा, “तुम कौन हो?”
एक हल्की आवाज़ आई, “मैं वापस जाना चाहती हूँ...”
गहरे राज़ की खोज
अगले दिन, उसने तय किया कि वह घर के पुराने हिस्से की तलाश करेगा। उसने ज़मीन में कुछ दबी हुई चीज़ें खोजने की कोशिश की। गाँव वालों की मदद से उसने खुदाई शुरू की। कुछ समय बाद, ज़मीन के नीचे एक लकड़ी का डिब्बा मिला। उसमें कुछ पुराने गहने और एक मटमैला सा पत्र था।
पत्र में लिखा था, “मेरे पति से कहना, मैं उनका इंतज़ार कर रही हूँ।”
गाँव के बुज़ुर्ग बोले, “वह वृद्धा अपने पति का इंतज़ार कर रही थी, लेकिन तूफानी रात में कहीं खो गई।”
अर्पण ने वह डिब्बा घर के आँगन में रखा और प्रार्थना की, “तुम शांति से रहो।”
शांति की प्राप्ति
उस रात के बाद से घर में परछाइयाँ नहीं दिखीं, न ही कोई अजीब आवाज़ आई।
अर्पण को एहसास हुआ कि हर भूतिया कहानी के पीछे कोई न कोई सच्चाई छिपी होती है। जब लोग अपने अनकहे राज़ों को अपने साथ ले जाते हैं, तो वे रहस्य बन जाते हैं।
यह कहानी काल्पनिक है, इसका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है।

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