Bhoot Ki Story: खाली हवेली का रहस्य


निशी बचपन से ही बहुत जिज्ञासु स्वभाव की लड़की थी। रहस्यमयी चीजों के प्रति उसका एक अजीब आकर्षण था। वह पढ़ाई में अच्छी थी, लेकिन हमेशा उसका मन भूतिया कहानियों, अलौकिक घटनाओं और रहस्यमयी स्थानों की ओर खिंचा चला जाता था। उसके माता-पिता इन काल्पनिक कहानियों को ज्यादा महत्व नहीं देते थे, लेकिन निशी की रुचि कभी कम नहीं हुई।

गांव की कहानी और खाली हवेली का इतिहास

इस गर्मी की छुट्टियों में वह अपने दादाजी के गांव घूमने गई। गांव शांत और हरा-भरा था, जहां कच्ची मिट्टी की संकरी गलियां, विशाल पेड़ और छोटे-छोटे झोपड़े थे। दिन में गांव एकदम सामान्य लगता था, लेकिन रात होते ही वहां एक अजीब-सी शांति छा जाती थी।

उसी गांव में एक पुरानी, वीरान हवेली थी, जिसे लोग 'खाली हवेली' कहते थे। हवेली सालों से खाली पड़ी थी, क्योंकि कहा जाता था कि शाम ढलते ही वहां अजीब आवाजें सुनाई देती हैं। कुछ लोगों का मानना था कि खिड़कियों में परदे नहीं होने के बावजूद वहां कभी-कभी परछाइयां दिखती थीं! कुछ का कहना था कि वहां जाने पर ठंडी हवा शरीर को कंपा देती है। गांव के बुजुर्गों के अनुसार, पहले वहां एक जमींदार परिवार रहता था, लेकिन एक खौफनाक रात उनकी छोटी बेटी रहस्यमय तरीके से गायब हो गई। उस रात के बाद से हवेली हमेशा के लिए सूनी हो गई।

हवेली में प्रवेश

निशी इन कहानियों को सुनकर बहुत उत्साहित हो गई। उसे लगा कि ऐसी रहस्यमयी जगह को एक बार जरूर देखना चाहिए। उसने अपने कज़िन राहुल के साथ योजना बनाई। राहुल पहले तो डर रहा था, लेकिन निशी के जोश को देखकर वह भी तैयार हो गया।

एक दिन शाम को, सूरज ढलने से पहले, निशी और राहुल उस हवेली के सामने पहुंचे। हवेली की दीवारों में दरारें थीं, खिड़कियों के शीशे टूटे हुए थे, और दरवाजा आधा खुला हुआ था। वहां बहने वाली ठंडी हवा ने निशी को कंपा दिया। हवेली के चारों ओर लताओं और झाड़ियों ने उसे लगभग ढक लिया था, जिससे लग रहा था कि वहां बरसों से कोई नहीं गया।

अंदर जाते ही एक अजीब गंध आई—पुरानी लकड़ी और सीलन भरी धूल की मिली-जुली गंध। फर्श पर मोटी धूल की परत जमी थी, जिससे साफ था कि वहां बहुत समय से कोई नहीं आया था। एक बड़ा हॉल था, जिसके बीचों-बीच एक पुरानी लकड़ी की टेबल रखी थी। खिड़की से आती मद्धम रोशनी पूरे माहौल को और रहस्यमयी बना रही थी।

अचानक, पास वाले कमरे से खटपट की आवाज़ आई। निशी और राहुल ने एक-दूसरे की ओर देखा।

“शायद कोई चूहा होगा,” राहुल फुसफुसाया।

लेकिन तभी एक और अजीब घटना हुई। सामने की दीवार पर लगे एक पुराने आईने में अचानक एक धुंधली छवि उभरने लगी! ऐसा लगा जैसे कोई परछाईं वहां हिल रही हो! निशी का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा।

राहुल घबराए स्वर में बोला, “चलो, यहां से निकलते हैं!”

लेकिन निशी की जिज्ञासा अब चरम पर थी। वह धीरे-धीरे आईने की ओर बढ़ी। तभी खिड़की के बाहर से एक तेज हवा का झोंका आया और पर्दा जोर से हिलने लगा।

तभी एक मद्धम फुसफुसाहट सुनाई दी, “मुझे बचाओ...”

रहस्य की गहराई में

निशी डर के मारे पीछे हट गई। यह आवाज़ किसकी थी? राहुल तो पूरी तरह डर के मारे जड़ हो गया था। अब और हिम्मत न कर पाने की वजह से वे दोनों दौड़ते हुए बाहर निकल आए।

बाहर आते ही वे जोर-जोर से सांस लेने लगे। वहां एक बुजुर्ग आदमी खड़े थे, जिन्होंने उनकी घबराहट देखी। जब उन्होंने सारी बात बताई, तो बुजुर्ग हल्के से मुस्कराए।

“यह हवेली कभी गांव के जमींदार की थी। लेकिन उनकी छोटी बेटी एक दिन अचानक गायब हो गई। उसे फिर कभी नहीं देखा गया। गांव वालों का कहना है कि उसकी आत्मा अब भी इस हवेली में भटकती है और मदद मांगती है। लेकिन वह किसी को नुकसान नहीं पहुंचाती, बस कोई उसकी बात सुने, इसका इंतजार करती है।”

सच्चाई की खोज

निशी यह सुनकर सिहर उठी। उसने फिर कभी उस हवेली में कदम नहीं रखा। लेकिन रात में जब भी वह सोने जाती, उसे लगता जैसे दूर से कोई फुसफुसा रहा हो—“मुझे बचाओ...”

लेकिन निशी हार मानने वाली नहीं थी। उसने गांव में रहते हुए कुछ पुराने दस्तावेजों की जांच की। उसे पता चला कि जमींदार की बेटी के लापता होने के बाद, किसी ने उसे हवेली के पीछे वाले कुएं के पास आखिरी बार देखा था।

निशी और राहुल एक दिन दोपहर में वहां गए। कुएं को पेड़-पौधों से पूरी तरह ढक दिया गया था, मानो किसी ने जानबूझकर उसे छिपाने की कोशिश की हो। निशी ने मन ही मन फैसला कर लिया कि वह इस रहस्य की तह तक जरूर पहुंचेगी।

डिस्क्लेमर: यह कहानी पूरी तरह काल्पनिक है, इसका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है।

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