Kahani Chudail Ki: शिउली गाँव की रहस्यमयी चुड़ैल



शिउली गाँव एकदम शांत और सुरम्य था। चारों ओर घने हरे-भरे पेड़, बीच में एक छोटी सी नदी, और गाँव के अंतिम छोर पर एक पुराना मकान। इस मकान को लेकर कई तरह की कहानियाँ प्रचलित थीं, खासकर रात के समय कोई भी उस ओर जाने की हिम्मत नहीं करता था। गाँव के बुजुर्गों का कहना था कि उस मकान में एक चुड़ैल रहती है!

चुड़ैल की उत्पत्ति की कहानी

यह कहानी बहुत पुरानी है। लोककथाओं के अनुसार, कई साल पहले इस मकान के मालिक जमींदार रमेशचंद्र राय थे। उनकी इकलौती बेटी, सुहासिनी, बेहद सुंदर और प्रतिभाशाली थी। लेकिन दुर्भाग्यवश, शादी से पहले ही उसकी रहस्यमय तरीके से मौत हो गई। कुछ लोगों का कहना था कि वह नदी में डूब गई, तो कुछ का मानना था कि वह एक दुर्घटना का शिकार हो गई।

उसकी मृत्यु को लेकर कई सवाल थे। कुछ लोगों का मानना था कि घर की पुरानी दासी का श्राप उस पर लग गया था, तो कुछ का कहना था कि दुश्मनों की साजिश के कारण उसने जान गंवाई। लेकिन सच्चाई क्या थी, यह कोई नहीं जानता था। हाँ, इतना ज़रूर था कि उसकी मृत्यु के बाद से ही उस पुराने मकान में अजीब घटनाएँ होने लगीं। रात में वहाँ किसी के रोने की आवाज़ आती, हवा में रातरानी की महक फैल जाती। कई लोगों ने दावा किया कि सुहासिनी की आत्मा अब भी वहाँ भटकती है।

अशोक का अनुभव

गाँव का एक साहसी युवक, अशोक, भूत-प्रेत जैसी बातों पर बिल्कुल विश्वास नहीं करता था। उसने तय किया कि वह खुद जाकर देखेगा कि वास्तव में कोई चुड़ैल है या नहीं।

एक रात, वह अपने कुछ दोस्तों के साथ उस पुराने मकान के सामने पहुँचा। पहले तो सबकुछ सामान्य लगा। जब उन्होंने मकान के अंदर प्रवेश किया, तब भी कुछ अजीब नहीं लगा। लेकिन कुछ देर बाद ही हवा भारी लगने लगी, और ठंडक का अहसास बढ़ने लगा। अचानक, बंद दरवाजा अपने आप खुल गया, जैसे कोई उन्हें अंदर बुला रहा हो।

अशोक ने थोड़ा डर महसूस किया, लेकिन हिम्मत करके आगे बढ़ा। उसके दोस्त बाहर से उसे प्रोत्साहित कर रहे थे। तभी, उसे लगा कि किसी ने पीछे से उसके कंधे पर हाथ रखा है! वह घबरा गया और तुरंत दौड़कर बाहर आ गया। उसके दोस्तों ने देखा कि उसका चेहरा सफेद पड़ गया था और होंठ काँप रहे थे।

गाँव के बुजुर्गों का वर्णन

अगली सुबह, अशोक ने गाँव के बुजुर्गों को यह घटना बताई। गाँव के बुजुर्ग गोपाल काका ने कहा, “बेटा, उस मकान में सच में कुछ अनहोनी होती है। कई साल पहले, एक यात्री रात में वहाँ ठहरा था, और सुबह बेहोशी की हालत में मिला था। उसने बताया था कि उसने सफेद साड़ी में एक लड़की की परछाई देखी थी।”

इस घटना के बाद गाँव वालों ने रात में उस रास्ते से जाना बंद कर दिया। हालाँकि, कुछ लोगों का कहना था कि यह सब संयोग भी हो सकता है।

एक अद्भुत रात

एक रात, गाँव का एक व्यक्ति, रमेश, हिम्मत करके उस पुराने मकान के पास से गुज़र रहा था। अचानक, उसने एक महिला की धीमी आवाज़ सुनी। उसने चारों ओर देखा, लेकिन कोई नहीं था। धीरे-धीरे वह आवाज़ धीमी होती चली गई।

अगली सुबह, रमेश ने बताया, “मैंने कुछ नहीं देखा, लेकिन ऐसा लग रहा था कि कोई मेरे साथ-साथ चल रहा था। जैसे-जैसे मैं तेज़ चलता, वैसे-वैसे वह आवाज़ भी बढ़ने लगी। आखिरकार, मैं दौड़कर भागा!”

गाँव वाले फिर से सहम गए। लेकिन समय के साथ, ये कहानियाँ सिर्फ लोककथाएँ बनकर रह गईं। लोग पुराने मकान के पास जाना पूरी तरह बंद कर चुके थे।

चुड़ैल की मौजूदगी के और सबूत

कई साल बीत गए। नई पीढ़ी इन कहानियों को सिर्फ काल्पनिक मानने लगी। लेकिन एक दिन, कुछ शोधकर्ताओं की टीम ऐतिहासिक और रहस्यमयी जगहों की खोज करने गाँव आई। उन्होंने उस मकान में रात बिताने का निर्णय लिया।

रात में, उनकी कैमरा रिकॉर्डिंग में कुछ अजीब दृश्य कैद हुए। एक परछाई खिड़की के पास खड़ी थी। एक शोधकर्ता ने महसूस किया कि किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा, लेकिन वहाँ कोई नहीं था। अगले दिन, जब उन्होंने वीडियो की जाँच की, तो वे इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि मकान के अंदर कुछ रहस्यमयी था।

निष्कर्ष

आज भी शिउली गाँव के बुजुर्गों का कहना है कि चुड़ैल सच में है या नहीं, यह कोई नहीं जानता। लेकिन गाँव वाले इतना ज़रूर मानते हैं कि जब भी वे पुराने मकान के पास से गुज़रते हैं, तो एक अजीब अहसास होता है।

यह कहानी काल्पनिक है, और इसका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है।

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