Bhutiya Kahani: भूतिया स्टेशन: एक अनसुलझा रहस्य



रात के ठीक बारह बज रहे थे। ट्रेन के पहियों की आवाज़ एक लय में चल रही थी—"ठक ठक... ठक ठक..."। खिड़की के बाहर घना अंधेरा था, बीच-बीच में दूर कहीं कुछ रोशनी झलकती, फिर घने कोहरे में गायब हो जाती। ट्रेन के डिब्बे में ज़्यादातर यात्री सो चुके थे, लेकिन कुछ लोग अब भी खिड़की से बाहर झांक रहे थे।

राहुल, एक युवा पत्रकार, एक पुराने मामले की तहकीकात करने निकला था। उसका गंतव्य पश्चिम बंगाल का एक सुदूर गाँव था, जहाँ ‘श्यामनगर स्टेशन’ के बारे में वर्षों से अजीबोगरीब कहानियाँ सुनाई जाती हैं। कहा जाता है कि यह स्टेशन रात में लगभग सुनसान हो जाता है, क्योंकि कई लोगों ने यहाँ अजीब घटनाओं का सामना किया है।

राहुल भूत-प्रेत की कहानियों में विश्वास नहीं करता था। उसके लिए, ये सब इंसानी कल्पनाएँ या भ्रम मात्र थे। लेकिन एक पत्रकार के रूप में, वह खुद इस रहस्य की सच्चाई जानना चाहता था।

श्यामनगर स्टेशन पर पहुँचने के बाद
ट्रेन जब स्टेशन पर रुकी, तो राहुल को ऐसा लगा जैसे हवा अचानक ठहर गई हो। चारों ओर एक अजीब सी खामोशी थी। प्लेटफॉर्म की एकमात्र रोशनी मंद पड़ रही थी और धीरे-धीरे कोहरे में डूबती जा रही थी।

राहुल ने इधर-उधर नज़र दौड़ाई, लेकिन वहाँ कोई अन्य यात्री नहीं दिखा। प्लेटफॉर्म लगभग वीरान था, सिर्फ एक बुजुर्ग चाय की दुकान चलाते दिख रहे थे।

"क्या यहाँ रात में कोई रुकता है?" राहुल ने बुजुर्ग से पूछा।

कुछ पल चुप रहने के बाद बुजुर्ग ने जवाब दिया, "बाबू, मैं रहता हूँ... लेकिन रात होते ही दुकान बंद कर देता हूँ। यहाँ रात में ठहरना अच्छा नहीं!"

"क्यों? क्या यहाँ भूत हैं?" राहुल ने हंसते हुए पूछा।

बुजुर्ग के चेहरे पर चिंता की लकीरें उभर आईं। धीमी आवाज़ में बोले, "अगर आप रुके, तो खुद समझ जाएँगे!"

रहस्यमय छाया
राहुल प्लेटफॉर्म की एक बेंच पर बैठ गया। रात बढ़ने के साथ ही आसपास की लाइटें एक-एक कर बुझने लगीं। अंधेरे में, स्टेशन के एक कोने में उसे एक काली छाया हिलती हुई दिखी।

वह धीरे-धीरे खड़ा हुआ। ऐसा लगा जैसे कोई व्यक्ति प्लेटफॉर्म के दूसरी तरफ़ से उसकी ओर बढ़ रहा हो। राहुल ने मोबाइल की टॉर्च जलाकर देखा।

लेकिन... वहाँ कुछ नहीं था!

अचानक, ठंडी हवा का एक झोंका उसके शरीर से टकराया, और किसी ने धीमे स्वर में उसका नाम पुकारा—"राहुल..."

भयावह अनुभव
राहुल घबरा गया लेकिन हिम्मत करके देखने लगा कि कौन उसे पुकार रहा था। तभी उसकी नज़र प्लेटफॉर्म के एक कोने में बैठी एक लड़की पर पड़ी। वह पुराने अंदाज़ की साड़ी पहने थी, और उसकी आँखें अजीब लग रही थीं!

लड़की धीरे-धीरे राहुल की ओर देखने लगी और हल्की मुस्कान दी।

राहुल ने आगे बढ़कर पूछा, "आप यहाँ अकेली क्यों बैठी हैं?"

लड़की ने कोई जवाब नहीं दिया, बस टकटकी लगाए उसे देखती रही।

अचानक, ठंडी हवा में एक कंपन हुआ, और लड़की का शरीर धुंध में घुलने लगा!

राहुल घबराकर पीछे हट गया। उसके शरीर में झुरझुरी दौड़ गई।

सच्चाई का खुलासा
अगली सुबह, राहुल ने गाँव के कुछ बुजुर्गों से बात की। उन्होंने बताया कि कई साल पहले, एक युवती अपने प्रियजन की प्रतीक्षा में इसी स्टेशन पर खड़ी थी, लेकिन वह कभी वापस नहीं आया। रेलवे ट्रैक पार करते समय लड़की का एक्सीडेंट हो गया, और तब से लोग कहते हैं कि उसकी आत्मा अब भी इस स्टेशन पर भटकती है।

राहुल हैरान रह गया!

क्या उसने वास्तव में उसी लड़की को देखा था? या यह केवल अंधेरे में उसकी कल्पना थी?

इस सवाल का जवाब शायद कोई नहीं जानता...

डिस्क्लेमर: यह कहानी पूरी तरह काल्पनिक है, और इसका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है।

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